
1. शार्ङ्गधरसंहिता (Sharangadhara Samhita)
लेखक (Author): आचार्य शार्ङ्गधर (14वीं शताब्दी)
महत्व (Importance):
- आयुर्वेदिक फार्मेसी (भैषज्य कल्पना) का प्रमुख ग्रंथ।
- निदान, औषध निर्माण, और चिकित्सा पद्धतियों का व्यावहारिक संकलन।
प्रमुख विषय (Key Topics):
A. मदनपाल निदान (Diagnosis Section)
- नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) – वात, पित्त, कफ दोषों का आकलन।
- दशविध परीक्षा (10-fold examination) – रोगी के शारीरिक एवं मानसिक लक्षणों का विश्लेषण।
B. औषध निर्माण विधियाँ (Pharmaceutical Preparations)
- स्वरस (Fresh Juice) – उदा. तुलसी स्वरस (श्वसन रोगों में)।
- कल्क (Paste) – उदा. हरिद्रा कल्क (घाव भरने हेतु)।
- क्वाथ (Decoction) – उदा. दशमूल क्वाथ (वात विकारों में)।
- हिम (Cold Infusion) – उदा. धनिया हिम (पित्त शांति हेतु)।
- फांट (Hot Infusion) – उदा. अदरक का काढ़ा (पाचन के लिए)।
C. शार्ङ्गधर पाक (Medicated Jams & Electuaries)
- उदाहरण: च्यवनप्राश (रोग प्रतिरोधक), द्राक्षावलेह (रक्ताल्पता में)।
- निर्माण: जड़ी-बूटियों को गुड़/शहद/घी के साथ पकाकर बनाया जाता है।
D. रसशास्त्र संबंधित जानकारी (Rasa Shastra References)
- भस्म (Calcined Metals): स्वर्ण भस्म, अभ्रक भस्म।
- कुपीपाक्व रसायन (Herbo-mineral preparations in glass bottles): रस सिंदूर, मकरध्वज।
2. रसचिन्तामणि (Rasachintamani)
लेखक (Author): श्री धूंडुकनाथ
महत्व (Importance):
- रसशास्त्र (धातु विज्ञान) पर प्रमुख ग्रंथ।
- पारद, गंधक, धातुओं का शोधन एवं औषधीय उपयोग।
प्रमुख विषय (Key Topics):
A. शोधन (Purification of Metals/Minerals)
- पारद शोधन (Mercury Purification)
- विधि: पारे को तुलसी, घृतकुमारी के रस के साथ खरल करके शुद्ध किया जाता है।
- गंधक शोधन (Sulfur Purification)
- विधि: गंधक को दूध/अरंडी तेल में उबालकर शुद्ध किया जाता है।
B. मारण (Incineration Process)
- स्वर्ण मारण (Gold Calcination): स्वर्ण को पारद एवं गंधक के साथ भस्मित किया जाता है।
- लोह भस्म (Iron Ash): लोहे को अम्लीय फलों के रस में पकाकर बनाया जाता है।
C. रसौषधियाँ (Medicinal Formulations)
- रस सिंदूर: पारद एवं गंधक का योग, बलवर्धक।
- मकरध्वज: स्वर्णयुक्त रसायन, हृदय रोगों में प्रयुक्त।
3. रसेन्द्रचिन्तामणि (Rasendra Chintamani)
लेखक (Author): श्री सोमदेव
महत्व (Importance):
- उन्नत रसशास्त्र पर ग्रंथ, विशेषकर पारद संस्कार एवं रसायन चिकित्सा।
प्रमुख विषय (Key Topics):
A. पारद संस्कार (Mercury Processing)
- बंधन (Fixing Mercury): पारद को सहजीवी धातुओं (स्वर्ण, रजत) के साथ यौगिक बनाना।
- जारण (Amalgamation): पारद को धातुओं में विलीन करना।
B. विषघ्न रसायन (Antidote Formulations)
- सुतशेखर रस: पारद युक्त योग, अमा दोष (Toxins) नाशक।
- त्रिभुवन कीर्ति रस: ज्वर (Fever) एवं संक्रमण नाशक।
4. रसमञ्जरी (Rasamanjari)
लेखक (Author): श्री गोविंदाचार्य
महत्व (Importance):
- रसशास्त्र एवं धातु-मणि चिकित्सा का सरल ग्रंथ।
प्रमुख विषय (Key Topics):
A. उपरस (Subsidiary Minerals)
- माक्षिक (Pyrite), कासीस (Green Vitriol) का औषधीय प्रयोग।
B. रोगानुसार रस चिकित्सा (Disease-Specific Formulations)
- वात रोग: वात गजेंद्र रस।
- कफ रोग: त्रिकटु चूर्ण + शिलाजीत।
Conclusion (निष्कर्ष):
- शार्ङ्गधरसंहिता → औषध निर्माण की मूल विधियाँ।
- रसचिन्तामणि/रसेन्द्रचिन्तामणि → धातु-मणि चिकित्सा एवं रसायन।
- रसमञ्जरी → रोग-विशिष्ट रसौषधियाँ।
ये ग्रंथ आयुर्वेदिक चिकित्सा के “क्लिनिकल फार्मेसी” (Bhaishajya Kalpana) और “रस चिकित्सा” (Rasa Therapy) का आधार हैं।
Note for Students:
- Practical Importance: Modern research validates bhasmas for nano-medicine applications.
- Exam Focus: Sharangadhara’s Kwatha Kalpana & Rasa texts’ Shodhana-Marana are frequently asked.