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अभ्रकभस्म (Vaikranta Bhasma)

✦ परिचय (Introduction of Abhraka Bhasma)

अभ्रकभस्म आयुर्वेद में एक महत्त्वपूर्ण रसौषधि है, जिसे अभ्रक / वैक्रान्त (Mica) से शोधन एवं मारण विधि द्वारा तैयार किया जाता है। इसका प्रयोग क्षय, दमा, मधुमेह, शुक्रक्षीणता, यकृत रोग एवं आयुवर्धन हेतु किया जाता है।


✦ अभ्रक पर्याय (Synonyms of Abhraka)

  • संस्कृत नाम: अभ्रक, वैक्रान्त, गौरशिल
  • हिंदी: अभ्रक
  • अंग्रेज़ी: Mica / Biotite / Muscovite

✦ अभ्रक के भेद (Types of Abhraka)

  1. कृष्ण अभ्रक – औषध निर्माण के लिए श्रेष्ठ
  2. पिंगल अभ्रक
  3. धूम्र अभ्रक
  4. श्वेत अभ्रक

✦ ग्राह्य अभ्रक के लक्षण (Qualities of Acceptable Abhraka)

  • अग्नि में डालने पर न टूटे
  • पत्रवत् विदारित हो
  • चमकीला व चिक्कण हो
  • जल में न गलने वाला

✦ अभ्रक प्राप्तिस्थान (Occurrence of Mica)

  • बिहार (गया, मुंगेर)
  • झारखंड (कोडरमा, गोड्डा)
  • राजस्थान
  • आंध्रप्रदेश

✦ अभ्रक का भौतिक गुण (Physical Properties)

  • रंग: काला, धूसर, भूरा, श्वेत
  • चमक: कांच समान
  • कठोरता: 2.5 Moh’s scale
  • रूप: पत्रवत् (Sheet-like structure)

✦ अभ्रक शोधन (Purification of Abhraka)

  • शोधन हेतु प्रयोग द्रव:
    • तक्र (मट्ठा)
    • त्रिफला क्वाथ
    • गोदुग्ध
    • कानजी
    • नींबू रस
  • प्रक्रिया: अभ्रक को गर्म कर उपर्युक्त द्रवों में बार-बार डुबोना।

✦ अभ्रकभस्म निर्माण विधि (Preparation of Abhraka Bhasma)

1. धान्याभ्रक विधि

  • अभ्रक को धान्य (चावल), गंधक व नींबू रस से प्रक्रिया कर पुटन दिया जाता है।

2. अभ्रक मारण (Incineration)

  • शुद्ध अभ्रक को कज्जली (HgS) के साथ कुपीपाक/गोपुट प्रक्रिया द्वारा बार-बार तपाकर भस्म बनाया जाता है।

✦ अभ्रकभस्म की परीक्षा (Tests of Proper Bhasma)

  • रेखापूर्णत्वम् – उंगली की रेखाओं में भर जाए
  • निरुत्था – अग्नि पर डालने पर न चमके
  • अपूनर्भाव – पुनः धातुरूप न बने
  • सूक्ष्म, गंधरहित व स्वादहीन

✦ अभ्रकभस्म की रासायनिक संरचना (Chemical Composition)

तत्व (Constituent)प्रतिशत (%)औषधीय महत्व
सिलिका (SiO₂)40–45%कोशिका संरक्षण
ऐल्युमिना (Al₂O₃)15–20%उत्तक शक्ति
लौह (Fe₂O₃)10–15%रक्तवर्धक
पोटाश (K₂O)8–10%स्नायु-पोषक
अन्य खनिज5–10%सूक्ष्म पोषण

✦ अभ्रकभस्म के औषधीय उपयोग (Medicinal Uses)

  • श्वास व कास (Asthma, Chronic Cough)
  • क्षय रोग (Tuberculosis)
  • मधुमेह व प्रमेह (Diabetes, Urinary Disorders)
  • शुक्रक्षीणता व वंध्यत्व (Infertility, Sexual Weakness)
  • हृदय रोग व यकृत रोग
  • आयुवर्धन व बलवर्धन

✦ अभ्रकभस्म के योग (Important Formulations)

  • अभ्रकभस्म + शिलाजीत + अश्वगंधा → बल्य-वीर्यवर्धक योग
  • अभ्रकभस्म + त्रिफला क्वाथ → पाचन व यकृत रोगों में लाभकारी
  • अभ्रकभस्म + वसादि क्वाथ → श्वासकासहर योग

✦ अशुद्ध अभ्रक से हानि (Side Effects of Impure Abhraka)

  • पेट दर्द, वमन
  • यकृत व वृक्क पर भार
  • अरुचि, मूर्छा, अतिसार

✦ अभ्रकभस्म की मात्रा (Dosage)

  • 125 mg – 250 mg
  • सहपान: मधु, घृत, दूध या मक्खन